बस्तर जिला की संपूर्ण जानकारी – इतिहास, संस्कृति, पर्यटन और विशेष तथ्य

 

बस्तर जिला कब बना

जनजातियों की भूमि कहे जाने वाले Bastar Jila का गठन 1948 में हुआ । इसके साथ अन्य दो और जिले सरगुजा और रायगढ़ का गठन भी इसी वर्ष में हुआ ।

ट्रिक – सराब = सरगुजा , रायगढ़ , बस्तर ( 1948 में गठन )

 

बस्तर की पृष्ठभूमि / बस्तर जिला का इतिहास

  • बस्तर अंचल से पूर्व पाषाण कालीन उपकरणों का मिलना दर्शाता है कि यहां मानव पाषाण युग से अर्थात मानव विकास के समय से यहां निवास करता आया है । वे बस्तर की जीवन दायिनी नदी इंद्रावती नदी के आस पास रहा करते थे ।
  • रामायण काल में बस्तर का वर्णन दंडकारण्य के रूप में मिलता है जिसकी जानकारी कथा पुराण व धर्मग्रंथों से मिलता है ।
  • मौर्य काल में सम्राट अशोक ने 261 ई. पू. में कलिंग विजय कर बस्तर अंचल को अपने साम्राज्य में शामिल कर लिया ।
  • जब मौर्य साम्राज्य कमजोर हो गया तब कलिंग नरेश खारवेल ने बस्तर अंचल को पुनः अपने साम्राज्य में शामिल कर लिया ।
  • दंडकारण्य पर इक्ष्वाकु वंश और वाकटक वंश दोनों ने अधिकार स्थापित करने की कोशिश की पर वे विफल रहे क्योंकि यहां की भौगोलिक स्थिति उनके पक्ष में नहीं थी ।
  • बस्तर में नल राजवंश के शासन की जानकारी शिलालेखों, ताम्रपत्रों , मुद्राओं से पता चलता है ।
  • नागवंश को सबसे प्राचीन राजवंश माना जाता है जो बस्तर क्षेत्र में शासन करता था । इस काल में बस्तर को चक्रकोट कहा जाता था ।
  • नागवंश के बाद चेदी वंश के शासकों का प्रभाव सीमित समय के लिए सीमित क्षेत्र में रहा ।
  • 10 वीं – 13 वीं के दौरान कल्चुरी शासकों ने भी बस्तर पर अपना नियंत्रण स्थापित किया ।
  • वारंगल से आए अन्नमदेव ने छिन्दकनागवंशीय शासक हरिशचंद्र को पराजित कर बस्तर में काकतीय वंश की नींव डाली । बस्तर नाम इसी काकतीय शासन काल में पड़ा ।
  • 1324 में काकतीय शासक अन्नमदेव द्वारा बस्तर रियासत की स्थापना की गई ।
  • मराठा प्रभाव के दौरान बस्तर में कुछ समय के लिए भोसलों का शासन रहा ।
  • 1853 में बस्तर रियासत ब्रिटिश नियंत्रण में आ गया ।
  • 1 जनवरी 1948 को बस्तर रियासत का विलय भारत संघ में हो गया ।
  • विलय के बाद 1948 में ही बस्तर मध्यप्रदेश में शामिल हो गया , और इसे एक जिला घोषित किया गया ।
  • 1998 से 2012 के दौरान बस्तर जिले का विभाजन
  • 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ के गठन के साथ बस्तर जिला छत्तीसगढ़ राज्य में शामिल हुआ ।

 

नागवंश → चैदी वंश → कलचुरी वंश → काकतीय वंश → भोंसले वंश → ब्रिटिश शासन

 

बस्तर का प्राचीन नाम

  • उत्तर वैदिक काल में – दछिक दिक
  • रामायण काल में – दंडकारण्य
  • महाभारत काल में – कांतार / महाकांतार
  • सातवाहन वंश के पश्चात इसे – महावन भी कहा गया
  • वर्तमान नाम – बस्तर
  • बस्तर का अन्य उपनाम – साल वनों का द्वीप , जनजातियों की भूमि

दंडकारण्य नाम के पीछे का कारण धर्मग्रंथों की कथा में मिलता है – भारत के सम्राट इक्ष्वाकु प्रथम ने जब दक्षिण भारत को जीत लिया तब यहां का शासन अपने पुत्र दंड को दे दिया ।

एक बार जब शुक्राचार्य आश्रम में नहीं थे तब राजा दंड ने आश्रम में घुसकर शुक्राचार्य की पुत्री अरजा के साथ दुष्कर्म किया था , जिससे कुपित होकर शुक्राचार्य ने राजा दंड को श्राप दिया जिसके परिणामस्वरूप कालांतर में वैभवशाली दंडक जनपद भस्मीभूत होकर दंडकारण्य के रूप में परिणत हो गया । इस तरह राजा दंड के नाम पर इस वन का नाम दंडकारण्य पड़ा ।

बस्तर जिला का विभाजन

  • Bastar Jila का पहला विभाजन 1998 में हुआ जिससे 2 नए जिले कांकेर और दंतेवाड़ा जिला का गठन हुआ ।
  • Bastar Jila का दूसरा विभाजन 2007 में हुआ जिससे बस्तर के पश्चिमी भाग से नारायणपुर जिला का गठन हुआ ।
  • Bastar Jila का तीसरा विभाजन 2012 में हुआ और बस्तर के उत्तरी भाग से कोंडागांव जिला का गठन हुआ ।

Bastar Jila में खनिज

बस्तर जिले में विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न भिन्न खनिज मिलते हैं ।

  • बॉक्साइट – आसना , तारापुर , कुदारवाही
  • डोलोमाइट – तिरिया , माचकोट , जीरगांव , डोकरी पखना
  • हीरा – तोकापाल
  • चूना पत्थर – मांझीडोंगरी की पहाड़ी , देवरपाल , जूनागढ़ , चपका , देउरगांव , अलनार , पोतनार, बाराजी
  • अभ्रक – दरभा घाटी
  • संगमरमर – बस्तर

 

बस्तर जिला में जलप्रपात

 

चित्रकोट जलप्रपात (Chitrakote Waterfall)

  • यह इंद्रावती नदी पर स्थित भारत का सबसे चौड़ा जलप्रपात है ।
  • इसकी ऊंचाई 90 फीट तथा चौड़ाई 300 मीटर है
  • यह छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा जलप्रपात है
  • इस जलप्रपात की आकृति घोड़े के नाल के समान है
  • चित्रकोट जलप्रपात संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा की सीमा पर स्थित नियाग्रा जलप्रपात के समान दिखता है , वैसे ही सुंदरता रखता है इसलिए इसे भारत का नियाग्रा कहा जाता है ।
  • मौसम के अनुसार इसके पानी का रंग बदलते रहता है
  • जिला मुख्यालय जगदलपुर से 38 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ।
  • यह एक पिकनिक स्पॉट के रूप में भी प्रसिद्ध है ।
  • चित्रकोट जलप्रपात में ग्लास ब्रिज बनाया जा रहा है । जहां से सैलानी चित्रकोट जलप्रपात का और अच्छा नजारा देख पाएंगे ।

 

तीरथगढ़ जलप्रपात ( Tirathgarh Waterfall )

  • तीरथगढ़ जलप्रपात बस्तर जिला में स्थित है ।
  • राष्ट्रीय राजमार्ग NH-30 से जगदलपुर से कोंटा की ओर जाने पर 29 किलोमीटर की दूरी पर दाहिने ओर एक मार्ग जाता है जो तीरथगढ़ जलप्रपात की ओर जाता है ।
  • तीरथगढ़ जलप्रपात कांगेर नदी की सहायक नदी मुनगाबहार नदी पर स्थित है ।
  • इसकी ऊंचाई 300 फीट है ।
  • वर्षा ऋतु में यह जलप्रपात विभिन्न खंडों में प्रवाहित होते हुए छोटे छोटे जलप्रपात के रूप में नीचे गिरती है ।
  • इसे छत्तीसगढ़ का सबसे ऊंचा जलप्रपात माना जाता है ।
  • लेकिन इससे भी ऊंचा जशपुर में स्थित मकरभंजा जलप्रपात है जिसकी ऊंचाई 450 फीट है ।
  • इस जलप्रपात से 2 किलोमीटर की दूरी पर तीरथगढ़ गाँव स्थित है
  • जिला मुख्यालय जगदलपुर से 33 किलोमीटर तथा छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 321 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ।

 

तामड़ाघुमर जलप्रपात

  • यह जलप्रपात बस्तर की कश्मीर कही जाने वाली विनता घाटी में स्थित है ।
  • यह आमतौर पर बरसात के मौसम में बनता है ।
  • इसे मयूरा जलप्रपात भी कहा जाता है ।

 

पुलचा घूमर जलप्रपात  New* 

जगदलपुर से 65 किलोमीटर की दूरी पर पुलचा नामक गांव है , इस गांव से 7 किलोमीटर दूर ओड़िशा और छत्तीसगढ़ के सीमा पर तुलसी डोंगरी है । इसी तुलसी डोंगरी में यह जलप्रपात बनता है । यह जलप्रपात भारी वर्षा के बाद 5 – 6 घंटों के लिए बनता है । इसलिए इसे हर कोई देख नहीं पाता । तभी यहां के स्थानीय लोग कहते हैं कि इस जलप्रपात को सिर्फ किस्मत वाले ही देख पाते हैं ।

अन्य जलप्रपात

  • चित्रधारा जलप्रपात
  • महादेव घूमर जलप्रपात
  • मड़वा जलप्रपात
  • कांगेर धारा जलप्रपात
  • करंजी
  • झूलनदरहा
  • भुनभुनी
  • कटुलकसा

 

बस्तर जिला में बहने वाली नदी

 

इंद्रावती नदी

  • उद्गम – मुंगेर पर्वत , कालाहांडी जिला , ओड़िशा
  • इंद्रावती नदी को बस्तर की जीवन रेखा व बस्तर की जीवनदायिनी कहा जाता है ।
  • इंद्रावती नदी की संपूर्ण जानकारी visit 👉 इंद्रावती नदी

 

मुनगाबहार नदी

  • मुनगाबहार नदी कांगेर नदी की सहायक नदी है
  • इस नदी पर तीरथगढ़ गांव के समीप छत्तीसगढ़ का सबसे ऊंचा जलप्रपात – तीरथगढ़ जलप्रपात है ।

 

कांगेर नदी

  • यह Kanger Valley National Park के अंदर बहती है
  • इसकी सहायक नदी मुनगाबहार नदी पर मिल जाती है ।
  • इस पर कांगेर धारा जलप्रपात है ।
  • कुटुमसर गुफा से निकलने वाला नाले का पानी इसी कांगेर नदी पर मिलती है ।

 

शबरी नदी

  • हालांकि शबरी नदी सुकमा जिले में अधिक प्रवाहित होती है लेकिन इसके उद्गम के बाद यह सबसे पहले बस्तर जिले से छत्तीसगढ़ में प्रवेश करती है ।
  • उद्गम – कोरापुट की पहाड़ी , ओड़िशा
  • कांगेर नदी इसी नदी में आकर मिलती है
  • इसकी अधिक जानकारी सुकमा जिला परिचय में देखेंगे ।

 

बस्तर जिला की महत्वपूर्ण स्थल

 

बस्तर

  • यहां एग्रो पार्क है
  • यहां कोरंडम कटिंग एवं पॉलिशिंग संयंत्र है
  • भानसागर जलाशय के किनारे शिव मंदिर स्थित है ।
  • छत्तीसगढ़ बुनियादी बीज गुणन और प्रशिक्षण केंद्र , केंद्रीय रेशम बोर्ड , रेशम केंद्र स्थित है ।
  • छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक इमारती लकड़ी व इमली बस्तर में पायी जाती है ।

जगदलपुर

  • जगदलपुर, छत्तीसगढ़ राज्य के दक्षिणी भाग में स्थित बस्तर जिले का मुख्यालय है। यह शहर ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक दृष्टि से बेहद समृद्ध है।
  • यह बस्तर संभाग का प्रशासनिक केंद्र भी है।
  • जगदलपुर को चौराहों का शहर कहा जाता है जिसे काकतीय वंश के राजा रुद्रप्रताप देव के द्वारा नगर नियोजन कर बसाया गया था
  • जगदलपुर एशिया की सबसे बड़ी इमली मण्डी है ।
  • यहां डीआरडीओ के अधीन हवाई पट्टी है ।
  • 1972 में जगदलपुर में भारत सरकार के एंथ्रोपोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा नृजातीय म्यूजियम ( Ethnic Museum ) की स्थापना की गई है । यहां जनजातियों की संस्कृति एवं उनकी जीवनशैली को प्रदर्शित किया गया है ।
  • 1988 में जगदलपुर में जिला पुरातात्विक संग्रहालय ( Archeological Museum) स्थापित किया गया ।

शैक्षणिक संस्थान

1. शासकीय काकतीय पीजी कॉलेज, जगदलपुर – बस्तर का प्रमुख स्नातकोत्तर महाविद्यालय।

2. बस्तर विश्वविद्यालय

  • स्थापना – 2008
  • वर्तमान नाम – Shaheed Mahendra Karma Vishwavidyalaya
  • Bastar में उच्च शिक्षा के लिए एकमात्र विश्वविद्यालय है ।

3. NMDC DAV Polytechnic College – तकनीकी शिक्षा प्रदान करता है।

4. स्वर्गीय श्री बलिराम कश्यप मेमोरियल एनडीएमसी मेडिकल कॉलेज, जगदलपुर ( Late Shri Baliram Kashyap Memorial NDMC Medical College, Jagdalpur

  • स्थापना – 2006
  • यह एक सरकारी मेडिकल कॉलेज है ।

5. गुण्डाधुर कृषि महाविद्यालय – स्थापना – वर्ष 2011

6. वीर झाड़ा सिरहा शासकीय तकनीकी महाविद्यालय –स्थापना 2006 में

 

जगदलपुर के प्रमुख अनुसंधान केंद्र

1. इंद्रावती वन अनुसंधान केंद्र (Indravati Forest Research Center)

2.  कांगेर घाटी जैव विविधता अध्ययन केंद्र (Non-official but collaborative research activity site

3. औषधीय पौधा अनुसंधान केंद्र (Medicinal Plants Research Center)

4. बस्तर विश्वविद्यालय (Shaheed Mahendra Karma Vishwavidyalaya) में अनुसंधान

5.  ICAR – कृषि विज्ञान केंद्र (KVK), स्थान : बोड़ाघाट रोड, निकट जगदलपुर बस्तर

जगदलपुर में अन्य संस्थान व केंद्र

  1. काजू अनुसंधान केंद्र
  2. लघु धान्य फसल अनुसंधान केन्द्र
  3. वन अनुसंधान केंद्र
  4. कोसा अनुसंधान केंद्र
  5. वनपाल प्रशिक्षण संस्थान
  6. वनरक्षक प्रशिक्षण संस्थान

 

जगदलपुर के प्रमुख मंदिर और धार्मिक स्थल

1. दंतेश्वरी मंदिर :

  • यह माँ दंतेश्वरी देवी को समर्पित है, जो बस्तर की आराध्य देवी मानी जाती हैं।
  • दंतेवाड़ा और जगदलपुर दोनों स्थानों पर मंदिर हैं।
  • बस्तर दशहरा के समय इस मंदिर का विशेष महत्व होता है।

2. शिव मंदिर, बाली चौक

3. गणेश मंदिर, सीटी कोतवाली के पास

4. महादेव घाट मंदिर : इंद्रावती नदी के किनारे स्थित एक शांत धार्मिक स्थल।

 

दलपत सागर झील

  • दलपत सागर का प्राचीन नाम – भूपालताल है ।
  • काकतीय वंश के शासक दलपतदेव द्वारा वर्षा के जल को संग्रहित करने के लिए इस झील को बनवाया गया था । और इनके नाम पर ही इसे दलपतसागर के नाम से जाना जाता है ।
  • यह छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा कृत्रिम झील है ।
  • यह तालाब 2 मील लंबा व 1 मील चौड़ा है ।
  • इसे सर्वाधिक क्षेत्रफल वाला तालाब भी कहा जाता है ।
  • राजा दलपत देव ने दलपत सागर के साथ गंगामुंडा तालाब भी खुदवाए ।
  • दलपत सागर के बीच में स्थानीय देवी का मंदिर है ।

 

कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान

  • स्थापना – 1982
  • क्षेत्रफल – 200 वर्ग कि. मी.
  • इस राष्ट्रीय उद्यान के मध्य से कांगेर नदी बहती है इसलिए इसका नाम कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान पड़ा ।
  • इस कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान की प्रमुख जीव पहाड़ी मैना , रिसर्स बंदर , उड़न गिलहरी है ।
    यहां पहाड़ी मैना ( Hill Myna ) का संरक्षण किया जा रहा है ।
  • यह छत्तीसगढ़ का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान है
  • 1982 में इसे एशिया का पहला बायोस्फीयर घोषित किया गया था , लेकिन वर्तमान में यह बायोस्फीयर नहीं है ।
  • हालहि में (2025 में ) UNESCO ने कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान (KVNP) को वर्ल्ड हेरिटेज साइट की tentative list (अस्थायी सूची) में शामिल किया है ।
  • कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान की विस्तृत जानकारी 👉 KVNP कुटुमसर गुफा

 

नारायणपाल

  • नारायणपाल Bastar Jila में इंद्रावती और नारंगी नदी के संगम पर स्थित एक धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है ।
  • यहां नारायण मंदिर ( विष्णु मंदिर ) है , जिसका निर्माण छिंदकनागवंशी राजा धारावर्ष की पत्नी गुंडमहादेवी द्वारा सन् 1111 में किया गया ।
  • गुंडमहादेवी छिंदकनागवंशी राजा सोमेश्वर देव की माता थी
  • गुंडमहादेवी भगवान विष्णु की भक्त थी ।

 

गुढ़ियारी, केसरपाल

  • यहां शिव मंदिर है
  • यहां उमा – महेश्वर और गणेश की प्रतिमा है
  • इस मंदिर का निर्माण 13 वीं शताब्दी में राजा जयसिंह द्वारा किया गया है ।
  • केसरपाल को पुरातात्विक मूर्तियों का गढ़ भी कहा जाता है । यहां से अनेक दुर्लभ मूर्तियां भी मिली है ।

 

BADAL , आसना ग्राम

  • पूर्ण रूप – बस्तर एकेडमी ऑफ डांस , आर्ट एंड लैंगुएज
  • इसका लोकार्पण – 17 अक्टूबर 2021 को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी द्वारा किया गया ।
  • इसका उद्देश्य – बस्तर की जनजातीय संस्कृति,नृत्य, साहित्य, भाषा , लोककलाऔर शिल्पकला का संरक्षण और संवर्धन करना, साथ ही इन्हें आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाना है ।

 

चिंगीतराई का शिव मंदिर

  • चिंगीतराई का मतलब देवताओं का तालाब होता है , इसी तालाब के किनारे शिव मंदिर है ।
  • मंदिर के गर्भगृह में जलहरी युक्त शिवलिंग है
  • संभवतः इसका निर्माण 13 वीं – 14 वीं शताब्दी के मध्य काकतीय वंश के समय हुआ था ।
  • मंदिर में नागर शैली , द्रविण शैली और बेसर शैली का मिश्रित नमूना है ।

बस्तर जिला में गुफा

 

कुटुमसर गुफा

  • खोज – इसकी खोज 1900 के आसपास यहां के स्थानीय आदिवासियों ने की थी किंतु इस गुफा का सर्वे 1951 में, जिओग्राफर डॉ. शंकर तिवारी द्वारा किया गया था जिस कारण डॉ. शंकर तिवारी को कुटुमसर गुफा का खोजकर्ता के रूप में जाना जाता है ।
  • यह गुफा कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत आता है
  • गुफा की लम्बाई 330 मीटर तथा इसकी गहराई 72 मीटर है । गुफा के अंदर से बरसात के मौसम में नाला बहता है
  • गुफा में चूना पत्थर से निर्मित संरचनाएं है जो कि करोड़ों वर्ष पुरानी है । छत पर बनी संरचना को स्टेलेक्टाइट तथा धरातल पर बनी संरचना को स्टेलेगमाइट कहा जाता है ।
  • गुफा के भीतर ठहरे पानी में अंधी मछली पायी जाती है ।
  • इस गुफा का अन्य नाम – गुपनपाल या राहुड़

 

अरण्यक गुफा

  • खोज – 1996
  • मांगलपुरी पहाड़ में स्थित है
  • इसकी कार्स्ट स्थलाकृति है

 

दंडक गुफा

  • खोज – 1993 में
  • खोजकर्ता – पतिराम तारण
  • यह कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के अंदर है ।
  • इस गुफा को लाला जगदलपुरी ने शिवपार्वती गुफा नाम दिया है ।

 

कैलाश गुफा

  • खोज – 1993 में
  • यह कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के अंदर स्थित है ।
  • यहां की चूने के चट्टानों के कारण यह कैलाश गुफा के सदृश दिखता है ।
  • कैलाश गुफा बस्तर के अलावा जशपुर और सरगुजा में भी है । ( ट्रिक – जबस )

 

झूमर गुफा

  • यह कांगेर घाटी और दरभा घाटी के मध्य स्थित है ।
  • इसकी लंबाई 180 मीटर है ।
  • इसकी स्टेलेक्टाइट संरचना झूमर आकृति के समान होने के कारण इसे झूमर गुफा कहा जाता है ।

 

Bastar Jila की अन्य गुफाएँ

डुमरकरपन गुफा , हरी गुफा , गुप्तेश्वर गुफा , देवगिरी की गुफा , शीत गुफा , रानी गुफा , कांगेर करपन गुफा

 

Bastar Jila janjatiyon ki bhumi

Bastar Jila की अन्य जानकारी

  • छत्तीसगढ़ का खुला जेल मसगांव में है ।नगरनार इस्पात संयंत्र, NMDC की 4थी इकाई संचालित है
  • परचनपाल में सुवर प्रजनन प्रक्षेत्र है ।
  • डिलमिली में काष्ठ निर्मित मृतक स्तंभ है , जिसे आदिवासी नायक मुचकी हुंगा माड़िया की याद में बनाया गया है ।
  • भाटागुड़ा जैन धर्म से सम्बन्धित स्थल है , यहां से जैन धर्म के 16 वें तीर्थंकर – शांतिनाथ की जानकारी मिलती है ।
  • बुरुंगपाल में देश का एकमात्र संविधान मंदिर है , जिसकी स्थापना 1992 में की गई थी, इसमें संविधान की पांचवीं अनुसूची के प्रावधान लिखे हैं ।
  • बस्तर की इंद्रावती नदी में पायी जाने वाली कैटफिश को ही बस्तर की बोध या गुंज मछली कहा जाता है ।
  • ढोढरेपाल में – विश्वकर्मा मंदिर , देवरली मंदिर है ।
  • शिव मंदिर – सिंघई गुड़ी , चिंगीतराई , गुमड़पाल , घुमरमुंडपारा , छिंदगांव में है ।
  • बस्तर रियासत छत्तीसगढ़ के 14 देशी रियासतों में सबसे बड़ा रियासत था ।
  • बस्तर रियासत का भारतीय संघ में विलय के लिए विलय पत्र पर राजा प्रवीरचंद्र भंजदेव ने हस्ताक्षर किए थे ।

 

  • सीमावर्ती जिले – 04 कोंडागांव , बीजापुर , दंतेवाड़ा , सुकमा
  • Bastar Jila का क्षेत्रफल 6596.90 वर्ग कि.मी. है
  • 2011 की जनगणना के अनुसार कांकेर जिले की जनसंख्या 834375 है ।
  • Bastar Jila में कितने गांव है – 595 गांव
  • Bastar Jila में तहसील –7 → बस्तर , जगदलपुर , दरभा , बकावंड , लोहण्डीगुड़ा , बस्तानार , तोकापाल
  • विकासखंड – 7 → बस्तर , जगदलपुर , दरभा , बकावंड , लोहण्डीगुड़ा , बस्तानार , तोकापाल
  • नगरपालिका / नगरपंचायत – 02
  • लोकसभा क्षेत्र – 01 बस्तर ST
  • विधानसभा क्षेत्र – 03 बस्तर (ST ) , चित्रकोट (ST ) , जगदलपुर
  • जगदलपुर से रायपुर की दूरी – 285 किलोमीटर

 

  • Bastar Jila का आधिकारिक वेबसाइट – https://bastar.gov.in/
  • Bastar Jila कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी – श्री हरिस. एस (आई.ए.एस)

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