Kanker जिला कब बना
Kanker पहले बस्तर जिला का हिस्सा था । 1998 में बस्तर जिला से अलग होकर कांकेर जिला अस्तित्व में आया । जब कांकेर जिला बना तब उसके साथ 8 अन्य जिले भी बने – कवर्धा , कोरबा , कोरिया , जांजगीर चांपा , जशपुर , महासमुंद , धमतरी , दंतेवाड़ा ।
आगे Kanker जिला का चर्चा करें उससे पहले कांकेर का इतिहास, उसकी पृष्ठभूमि के बारे में चर्चा कर लेते हैं
Kanker की पृष्ठभूमि
- 13 वीं से 14वीं शताब्दी में कांकेर ( काकरय ) में सोमवंश का शासन था जिसकी जानकारी यहां से प्राप्त अभिलेखों से होती है । भानुदेव के कांकेर अभिलेख { शक संवत 1242 (1320 ई.) } से सोमवंशीय राजाओं की जानकारी मिलती है । सोमवंश का संस्थापक सिंहराज था तथा इस वंश के शासक रतनपुर के कल्चुरी शासकों की अधीनता स्वीकार करते थे ।
- सोमवंश के पश्चात Kanker में धर्मदेव नामक कंडरा जनजाति के सरदार ने गढ़िया पहाड़ को अपनी राजधानी बनाकर 1345 से 1367 तक शासन किया । धर्मदेव कंडरा राजा ने गढ़िया पहाड़ में एक किला का भी निर्माण कराया ।
- ब्रिटिश काल में 1862 से पहले Kanker एक जमींदारी हुआ करता था । ( Note – Kanker जमींदारी की शुरुआत कब हुई इसकी जानकारी तो नहीं है परंतु यह जानकारी है कि जमींदारी व्यवस्था को सबसे पहले 1793 में लॉर्ड कार्नवालिस ने बंगाल , बिहार , उड़ीसा , बनारस और उत्तरी कर्नाटक में लागू किया )
- 1862 में अंग्रेज अधिकारी सर रिचर्ड टेंपल ने छत्तीसगढ़ में जमींदारी को 2 वर्गों में विभाजित किया । प्रथम वर्ग में रियासत को शामिल किया गया तथा दूसरे वर्ग में उन जमींदारी क्षेत्रों को शामिल किया गया जिन्हें रियासत नहीं बनाया गया । इस तरह 1862 में 9 जमींदारी को रियासत का दर्जा दिया गया जिसमें से एक कांकेर रियासत भी था । ( Note – 1905 में छत्तीसगढ़ में 14 रियासत हो गया )
- इतिहासकार रायबहादुर हीरालाल के अनुसार कांकेर रियासत का संस्थापक सिंहराज था । लेकिन कई स्त्रोतों में कन्हरदेव को संस्थापक माना गया है । कांकेर रियासत 1429 वर्ग मील क्षेत्रफल में फैला था जिसकी राजधानी कांकेर थी ।
- 11 अगस्त 1947 को कांकेर रियासत के शासक भानुप्रतापदेव ने कांकेर रियासत को भारत संघ में शामिल करने हेतु विलय पत्र पर हस्ताक्षर किया ।
- 1 जनवरी 1948 को कांकेर रियासत भारत संघ में शामिल हो गया ।
- 1998 में बस्तर जिला से अलग होकर Kanker एक अलग जिला बना ।
कांकेर का नाम
- प्राचीन नाम – कंकणाय , काकरय , कंकनगरी
- वर्तमान नाम – उत्तर बस्तर कांकेर ( बस्तर के उत्तर में होने के कारण 2003 में कांकेर का नाम परिवर्तित कर उत्तर बस्तर कांकेर कर दिया गया )
- हालांकि भले ही नाम परिवर्तन हुआ हो परन्तु लोग बोलचाल में Kanker नाम का ही प्रयोग करते हैं ।
- गोंडी भाषा में कांकेर शब्द का अर्थ ‘ एक वृक्ष का पानी ‘ होता है ।
कांकेर जिला में खनिज
जितने खनिज Kanker जिला में मिलते हैं उनमें से सर्वाधिक, लौह अयस्क खनिज मिलता है । वे खनिज जो Kanker District में मिलते हैं उनके क्षेत्र निम्न हैं –
- लौह अयस्क – रावघाट, अंतागढ़ , कोमलसार , आरीडोंगरी , मेटाबोदली , हाहालद्दी , चारगांव , चारामा , गढ़िया पहाड़
- बॉक्साइट – अंतागढ़ तहसील के तान्दुल व कुमकाकुरुम
- सोना – सोनदेई , मिचगांव
कांकेर जिला में पहाड़ी
आरीडोंगरी
यह भानुप्रतापपुर तहसील में स्थित लौह अयस्क क्षेत्र है ।
रावघाट पहाड़ी
- यह भी एक लौह अयस्क क्षेत्र है यहां रावघाट खदान है ।
- भिलाई स्टील प्लांट को रावघाट खदान से ही लौह अयस्क की आपूर्ति की जा रही है ।
मलाजकुंडम पहाड़ी
- कांकेर जिला मुख्यालय से 17 – 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ।
- यहां से दूध नदी का उद्गम होता है
- मलाजकुंडम पहाड़ी में ही दूध नदी पर मलाजकुंडम जलप्रपात है ।
- यहां हमेशा सैलानी आते रहते हैं , बरसात के मौसम में बनने वाला जलप्रपात बहुत खूबसूरत होता है । और उसी समय यहां पर्यटक ज्यादा आते हैं ।
गढ़िया पहाड़
गढ़िया पहाड़ लगभग 660 फीट ऊंचा है ।
Kanker शहर इसी पहाड़ के नीचे बसा है ।
धर्मदेव कंडरा राजा ने गढ़िया पहाड़ को 1345 से 1367 तक अपनी राजधानी बनाए थे ।
गढ़िया पहाड़ पर निम्न स्थान हैं –
- किला
- जुड़ी पगार गुफा
- जोगी गुफा
- सोनई – रुपई तालाब
किला
इस पहाड़ में एक किला है जिसका निर्माण धर्मदेव कंडरा राजा ने कराया था । इस किले में सिंह द्वार और धर्म द्वार ( किले के पीछे का रास्ता ) है ।
जुड़ी पगार गुफा
गढ़िया पहाड़ में एक गुफा भी है जिसे जुड़ी पगार गुफा कहा जाता है । संभवतः इस गुफा का प्रयोग राजा आक्रमण के दौरान छुपने के लिए किया करते थे ।
जोगी गुफा
यहां एक जोगी गुफा भी है जिसके बारे में यहां के स्थानीय लोगों कहते हैं कि यहां एक जोगी तपस्या किया करते थे । जिनका शरीर काफी विशाल था । आज भी उनके द्वारा पहने जाने वाला खड़ाऊ वहां मौजूद है ।
सोनई – रुपई तालाब
- गढ़िया पहाड़ के ऊपर एक तालाब है जिसे सोनई – रुपई तालाब के नाम से जाना जाता है ।
- इसका निर्माण धर्मदेव कंडरा राजा ने कराया था ।
- कहते हैं इतनी ऊंचाई में होने के बावजूद इस तालाब का पानी कभी नहीं सूखता , इसकी वजह लोग यह बताते हैं कि – जब गढ़िया पहाड़ को धर्मदेव कंडरा ने अपनी राजधानी बनाई और शासन संभाला । उन्होंने अपनी प्रजा के लिए इस पहाड़ में एक तालाब खुदवाया ।
- धर्मदेव कंडरा राजा की दो बेटियां थी एक सोनई और दूसरी रुपई । दोनों तालब के पास खेला करते थे ।
- एक दिन दोनों तालाब में डूब गई और उनकी मृ* हो गई । तब से यह माना जाता है कि सोनई – रुपई की आत्मा इस तालाब की रक्षा करती है जिस कारण यह तालाब कभी नहीं सूखता ।
- एक बात और है कि इस तालाब का पानी सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सोने और चांदी के रूप में चमकता है जिस कारण लोग इसे सोनई – रुपई की उपस्थिति के रूप में देखते हैं ।
कांकेर जिला में जलप्रपात
मलाजकुंडम जलप्रपात
- यह जलप्रपात Kanker से 17-18 किलोमीटर की दूरी पर मलाजकुंडम की पहाड़ी में स्थित है ।
- यह 3 खण्डो में पहाड़ से नीचे गिरता है ।
- यह जलप्रपात दूध नदी में बनता है ।
- यह जलप्रपात Kanker जिला का प्रसिद्ध जलप्रपात है जिसे देखने सैलानी दूर दूर से आते हैं ।
चर्रे मर्रे जलप्रपात
- यह जलप्रपात पिंजडिन की घाटी पर स्थित है ।
- यह जलप्रपात जोगी नदी में बनता है ।
अन्य जलप्रपात
परलकोट , मयाना , कलतेलगेंदी , महादेव , चिनकर्रा
कांकेर जिला में नदी
Kanker जिले में प्रवाहित होने वाली मुख्य नदी दूध नदी है जिसके किनारे कांकेर शहर बसा है । तथा दूसरी प्रमुख नदी कोटरी नदी है । यहां से महानदी भी बहती है । इनके अलावा Kanker जिले में नयनी , देवधा , मथोली , हटकुल नदी भी प्रवाहित होती है । भानुप्रतापपुर से तांदुला नदी का उद्गम होता है जो उत्तर की ओर बहते हुए बालोद जिला में प्रवेश करता है ।
दूध नदी
- इसका उद्गम – मलाजकुंडम की पहाड़ी से होती है
- इस नदी में मलाजकुंडम की पहाड़ी पर मलाजकुंडम जलप्रपात है
- इस नदी का विसर्जन महानदी में होता है ।
- दूध नदी महानदी की सबसे पहली सहायक नदी है यही सबसे पहले महानदी में मिलती है ।
- इस नदी के तट पर स्थित स्थल Kanker शहर है।
कोटरी नदी
- इसका प्राचीन नाम – परलकोट नदी है ।
- उद्गम – राजहरा की पहाड़ी (मोहला – मानपुर – अंबागढ़ चौकी )
- कुल लम्बाई – 135 km.
- प्रवाह क्षेत्र – मोहला – मानपुर – अंबागढ़ चौकी → कांकेर → नारायणपुर → बीजापुर
- यह नदी छत्तीसगढ़ के दक्षिण पश्चिम भाग में बहती है ।
- इस नदी पर परलकोट परियोजना है ।
- कोटरी नदी इंद्रावती की सबसे बड़ी सहायक नदी है ।
- कोटरी नदी का विसर्जन इंद्रावती नदी में बीजापुर जिला में होता है
कांकेर जिला क्यों प्रसिद्ध है
कांकेर जिला की अपनी ऐतिहासिक , सांस्कृतिक , प्राकृतिक महत्व है
- यहां रामायणकालीन स्थल पंचवटी है । कहा जाता है माता सीता का हरण इसी स्थान से हुआ था ।
- कांकेर छत्तीसगढ़ की 14 देशी रियासतों में से एक था ।
- कांकेर आदिवासी बहुल जिला है यहां मुख्यत: गोंड, हल्बा जनजाति रहती है ।
- Kanker के गढ़िया पहाड़ में ऊंचाई पर स्थित होने के बावजूद कभी ना सुखने वाला सोनई – रुपई तालाब है जो लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है । कि यह कैसे संभव हो सकता है ।
- प्राकृतिक सौंदर्य की छटा बिखेरने वाला , सैलानियों के लिए पिकनिक का पसंदीदा जगह मलाजकुंडम की पहाड़ी में स्थित मलाजकुंडम जलप्रपात है ।
- दुधावा में 1963 मे बना छत्तीसगढ़ का स्वतंत्रता पश्चात बनने वाला पहला बांध दुधावा बांध है जो 625.27 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में जल ग्रहण करता है । जो मुख्यत: सिंचाई , मछली पालन के लिए श्रेष्ठ है ।
- पिछले वर्ष सितंबर 2024 में कांकेर शहर से महज 4 km. की दूरी पर स्थित डुमाली की पहाड़ी में एक मादा तेंदुए के साथ 4 शावक देखे गए थे जो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हुए थे । इसलिए यह पहाड़ी आकर्षण का केंद्र बना हुआ था ।
Kanker शहर
- दूध नदी के तट पर स्थित शहर है
- कांकेर जिला का जिला मुख्यालय है
- प्राचीन नाम – कंकणाय , काकरय , कंकनगरी
- यहां मार्च में गढ़बासला चैतराई का मेला होता है
- सितंबर अक्टूबर में गढ़िया पहाड़ महोत्सव होता है
शैक्षणिक संस्थान
- भानु प्रताप देव शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कांकेर – स्थापना 1 जुलाई, 1962
- शासकीय इंदरू केवट कन्या महाविद्यालय कांकेर
- College of Agriculture and Research station Kanker
- स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी स्मृति शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय, कांकेर
- शासकीय नरहरदेव हायर सेकेंडरी स्कूल ऑफ एक्सीलेंस, कांकेर
- काउंटर टेररिज्म जंगल वार फेयर कॉलेज , सिंगारभाट
शासकीय कोमलदेव जिला चिकित्सालय कांकेर
- इस हॉस्पिटल की स्थापना 1928 में की गई थी
- कांकेर रियासत के राजा कोमलदेव ने इसे जनता को समर्पित कर इसे दान किया ।
अन्य स्थान
- सिंहवासिनी का मंदिर
- कांकेर पैलेस
- kanker city center mall
- सिनेवर्ल्ड – सिटी सेंटर, कंकेर
कांकेर जिला की अन्य महत्वपूर्ण स्थल
परलकोट
- परलकोट में 1825 में अबूझमाड़ियों को अंग्रेजों के शोषण से मुक्त कराने के लिए , परलकोट के जमींदार गेंद सिंह के नेतृत्व में परलकोट विद्रोह हुआ था ।
- इस विद्रोह का प्रतीक धावड़ा वृक्ष की टहनी थी
- कैप्टन पेबे ने इस विद्रोह का दमन किया
- चांदा के सैनिकों के सहयोग से कैप्टन एगेन्यू ने गेंदसिंह को गिरफ्तार किया था ।
- गेंदसिंह और उनके साथियों को गिरफ्तार कर उन पर मुकदमा चलाया गया ।
- 20 जनवरी 1825 को गेंदसिंह को फांसी दी गई ।
- गेंदसिंह को बस्तर का प्रथम शहीद कहा जाता है ।
पखांजूर
- 1972 में यहां दंडकारण्य परियोजना के तहत बांग्लादेशी शरणार्थियों को बसाया गया था ।
- यहां मत्स्य पालन केंद्र है
- यहां मथोली नदी पर स्थित खेरकेट्टा जलाशय है
भानुप्रतापपुर
- यहां से तान्दुला नदी का उद्गम होता है
- यहां शहद प्रसंस्करण केंद्र है
- यहां वन विद्यालय है
- हर्बल होम गार्डन भी है
उड़कुड़ा गुफा
- यह एक ऐतिहासिक स्थल है यहां से मेगालिथिक अवशेष प्राप्त हुए हैं ।
- यह कांकेर जिला के चारामा तहसील में स्थित है
गोटीटोला
चारामा क्षेत्र में स्थित गोटीटोला की गुफाओं में प्रागैतिहासिक काल के शैल चित्र मिले हैं , जिन्हें लोग एलियन के चित्र / साक्ष्य के रूप में जानते हैं ।
कांकेर जिला की अन्य जानकारी
- मुड़पार से प्राचीन दुर्लभ प्रतिमाएं प्राप्त हुई है
- इच्छापुर में हर्रा प्रोसेसिंग यूनिट है
- लखनपुरी में IIDC एकीकृत अधोसंरचना विकास केंद्र है ।
- कांकेर जिला का मातृ जिला – बस्तर
- सीमावर्ती जिले – 05 नारायणपुर , कोंडागांव , धमतरी , बालोद , मोहला – मानपुर – अंबागढ़ चौकी
- कांकेर जिला का क्षेत्रफल 6432 वर्ग किलोमीटर है
- 2011 की जनगणना के अनुसार कांकेर जिले की जनसंख्या 7,48,941 है ।
- कांकेर जिले में कितने गांव है – 1004 गांव
- कांकेर जिले में तहसील –7 → नरहरपुर, अंतागढ़, कोयलीबेडा, कांकेर, चारामा, दुर्गुकोंदल , भानुप्रतापुर
- विकासखंड – 7 → नरहरपुर, अंतागढ़, कोयलीबेडा, कांकेर, चारामा, दुर्गुकोंदल , भानुप्रतापुर
- नगरपालिका परिषद – 01 Kanker
- लोकसभा क्षेत्र – 01 कांकेर ST
- विधानसभा क्षेत्र – 03 Kanker (ST ) , भानुप्रतापपुर (ST ) , अंतागढ़ (ST )
- कांकेर से रायपुर की दूरी – 127 किलोमीटर
- कांकेर से जगदलपुर की दूरी –160 किलोमीटर
- कांकेर पिन कोड – 494334
- आधिकारिक वेबसाइट – https://kanker.gov.in/
- कांकेर जिला कलेक्टर ( अप्रैल 2025 ) – श्री निलेशकुमार महादेव क्षीरसागर ,आईएएस
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