” जेहर रखे तीर कमान
दुनिया वाले जाने हम तो आदिवासी आन “
जब भी मैं इस गाने को सुनता हूं तो बस्तर का दृश्य नजरों के सामने आता है । बस्तर के घने जंगल , मोड़ दार घाटी , पहाड़ों के बीच बसा गांव , बस्तर की आदिवासी संस्कृति , नृत्य , वेशभूषा , गीत , वाद्ययंत्रों की धुन , पारंपरिक व्यंजन , शिल्प कला , तथा घने जंगलों में स्थित जलप्रपात की झर – झर मन को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है ।
इसी आदिवासी संस्कृति समृद्ध बस्तर का भव्य उत्सव Bastar Pandum 2025 , 12 मार्च से 5 अप्रैल तक बस्तर संभाग में तीन चरणों में आयोजित किया जा रहा है ।
Bastar Pandum का अर्थ
पंडुम ‘ गोंडी ‘ का शब्द है जिसका अर्थ उत्सव या त्यौहार होता है , इस प्रकार बस्तर पंडुम मतलब हुआ बस्तर का उत्सव या बस्तर का त्यौहार ।
Bastar Pandum क्या है
Bastar Pandum छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर संभाग में आयोजित किया जा रहा बस्तर का एक उत्सव है जो कि वर्तमान छत्तीसगढ़ सरकार की पहल है । जिसके माध्यम से बस्तर संभाग की विशिष्ट कला संस्कृति , परंपरा , खान पान , वेश भूषा , रीति रिवाज , को प्रोत्साहित कर संरक्षण करने का प्रयास किया जा रहा है । बस्तर पंडुम का यह आयोजन प्रतिभावान कलाकारों को एक मंच प्रदान कर रहा है ताकि उनकी कला , प्रतिभा सबके सामने आए और वो अपनी संस्कृति परंपरा के लिए गर्व महसूस करें ।
Bastar Pandum Logo ( प्रतीक चिन्ह )
बस्तर पंडुम 2025 के प्रतीक चिन्ह का विमोचन 12 मार्च 2025 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय जी द्वारा किया गया । विमोचन के इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री श्री अरुण साव , श्री विजय शर्मा जी भी उपस्थित थे ।
इस प्रतीक चिन्ह में बस्तर की कला , छत्तीसगढ़ की राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना , चित्रकूट जलप्रपात , तिरडुड्डी वाद्ययंत्र , पीतल का मुकुट , तुरही (तोड़ी) वाद्ययंत्र , वायसन हॉर्न मुकुट , ताड़ी का वृक्ष , सल्फी का वृक्ष , बस्तर की जीवन रेखा इंद्रावती नदी , छत्तीसगढ़ की राजकीय पशु वन भैंसा व बिरिया ढोल का चित्रांकन किया गया है ।
बस्तर पंडुम का आयोजन
Bastar Pandum का आयोजन छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में तीन चरणों में आयोजित किया जा रहा है ।
जनपद स्तर
- 12 से 20 मार्च 2025 तक
- बस्तर संभाग के 32 जनपद मुख्यालयों में
जिला स्तर
- 21 से 23 मार्च 2025 तक
- जनपद स्तर के प्रतियोगिता में 7 विधाओं में अच्छा प्रदर्शन करने वाले दलों को इसमें शामिल किया जाएगा ।
संभाग स्तर
- 1 से 3 अप्रैल 2025 को निर्धारित था परन्तु 2 अप्रैल से 5 अप्रैल तक हुआ ।
- इसमें 49 , जिला स्तरीय विजेता दल भाग लेंगे
- संभाग स्तर के प्रतियोगिता का आयोजन दंतेवाड़ा में किया जाएगा
बस्तर पंडुम का उद्देश्य
- बस्तर संभाग की कला संस्कृति , पारंपरिक विरासत को संरक्षित संवर्धित करना
- जनजातीय लोक कला और परंपराओं का सम्मान एवं प्रोत्साहन
- बस्तर की विशिष्ट संस्कृति व जनजातियों की प्रतिभा को सबके सामने लाना
- आदिवासियों को उनकी पारंपरिक संस्कृति पर गौरवान्वित कराना
Bastar Pandum में प्रतियोगिता
Bastar Pandum में 7 विधाओं में प्रतियोगिताएं हो रही है – जनजातीय नृत्य , जनजातीय गीत , नाट्य , वाद्ययंत्र , वेशभूषा एवं आभूषण , शिल्पकला एवं चित्रकला , पेय एवं व्यंजन ।
पुरस्कार राशि
Bastar Pandum के अंतर्गत आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने पुरस्कार की राशि भी निर्धारित की है । जो कि निम्न है –
जनपद स्तर
जनपद स्तर पर होने वाले प्रतियोगिता में विजेता दल को 10,000 ₹ की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी । साथ ही कलाकारों को यात्रा व्यय भी दिया जाएगा ।
जिला स्तर
जिला स्तर में विजेता दल को 20,000 ₹ प्रोत्साहन राशि दिया जाएगा और साथ ही 5,000 ₹ यात्रा व्यय भी दिया जाएगा ।
संभाग स्तर
संभाग स्तर पर जिन 7 विधाओं में प्रतियोगिताएं हो रही है उन सभी 7 विधाओं के विजेता तथा द्वितीय , तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले सभी दल को भी पुरस्कार राशि दी जाएगी । जिसमें
- प्रथम स्थान को – 50,000 ₹
- द्वितीय स्थान – 30,000 ₹
- तृतीय स्थान – 20,000 ₹ दिया जाएगा ।
और बाकि सभी 28 दल जिसने संभाग स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लिया उन्हें 10,000 ₹ की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी ।
बस्तर पंडुम का महत्व
- इससे बस्तर की समृद्ध आदिवासी कला संस्कृति का संरक्षण , संवर्धन , व विकास होगा
- आदिवासियों को उनकी संस्कृति पर गौरव कराने का प्रयास है
- आदिवासी प्रतिभा को प्रोत्साहन देता है
- आदिवासियों के प्रतिभा को उनके लिए अवसर बनाकर रोजगार , उद्यमिता से जोड़कर जनांकिकीय लाभांश में बदलने का प्रयास है
- आदिवासियों को उनके ही संस्कृति कला प्रतिभा के माध्यम से सशक्त सक्षम बनाने का प्रयास है
- दूरस्थ क्षेत्रों में निवास आदिवासियों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ता है
- लोगों से जुड़ने के लिए सहज महसूस कराता है
- सामाजिक आर्थिक राजनीतिक रूप से लाभ पहुंचाने का प्रयास है
- इससे बस्तर की संस्कृति देश दुनिया के सामने आएगी
Bastar Pandum का समापन
Bastar Pandum का समापन 5 अप्रैल को दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा में हुआ । समापन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आए । उन्होंने कार्यक्रम मंच से घोषणा की है कि अगली बार 7 विधाओं की जगह 12 विधाओं में राष्ट्रीय स्तर पर पंडुम का आयोजन किया जाएगा और 2026 में देश के आदिवासी जिलों के कलाकारों को भी Bastar Pandum में शामिल किया जाएगा ।
बस्तर Pandum में कुल 47000 कलाकारों ने भाग लिया ।
संभाग स्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन 2 अप्रैल से 5 अप्रैल को किया गया, पूर्व में इसकी तिथि 1 से 3 अप्रैल निर्धारित की गई थी ।
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Note : Bastar Pandum पर यह लेख CGPSC Aspirants के लिए तैयार किया हूं ताकि वो इसे अपने मैंस के निबंध या अपने उत्तर लेखन में प्रयोग कर सकें । प्रारंभ के हिस्से को आप निबंध के परिचय के रूप में लिख सकते हो ।