चर्चा में क्यों
UNESCO ( United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization ) ने कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान (Kanger Valley National Park) को वर्ल्ड हेरिटेज साइट की tentative list (अस्थायी सूची) में शामिल किया है ।
यहां कुटुमसर गुफा , तितली पार्क , कैलाश गुफा , दंडक गुफा , प्राकृतिक रूप से मगरमच्छ पाया जाने वाला क्षेत्र भैंसादरहा , कोटमसर नागलसर डियर पार्क , कांगेर धारा प्रमुख स्थल है ।
स्थापना एवं नामकरण
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1982 में हुआ था । इस राष्ट्रीय उद्यान का नाम यहां से बहने वाली कांगेर नदी के कारण कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान पड़ा ।
कहा जाता है कि कांगेर नदी का उद्गम कुटुमसर गुफा से हुई है लेकिन इसमें कितनी सच्चाई है यह मालूम नहीं । कांगेर नदी शबरी नदी में जाकर मिलती है, इनके मिलने से पहले मुनगाबहार नदी कांगेर नदी में आकर मिलती है ।
स्थिति
Kanger Valley National Park छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर संभाग के बस्तर जिले में स्थित प्रदेश का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान है ।
इस National Park का विस्तार तीरथगढ़ जलप्रपात से लेकर पूर्व में ओड़िशा की सीमा पर शबरी / कोलाब नदी तक फैला हुआ है ।
जिला मुख्यालय जगदलपुर से इसकी दूरी लगभग 27 – 28 किलोमीटर है । जगदलपुर से निकलकर NH – 30 मार्ग से होते हुए जायेंगे तो मार्ग के बायीं ओर Kanger Valley National Park का प्रवेश का द्वार मिलेगा ।
कांगेर घाटी किस लिए प्रसिद्ध है Why is Kanger Valley Famous
एशिया का प्राणवायु कहा जाने वाला Kanger Valley National Park सघन वनों एवं मनोरम दृश्यों से भरपूर है । वैसे तो यहां बहुत सुंदर सुंदर स्थल है , पर्यटन केंद्र है पर जो चीज लोगों को आकर्षित करती है , सैलानियों को यहां आने पर मजबूर करती है , जिसके लिए यह Kanger Valley प्रसिद्ध है वह है यहां कि कुटुमसर गुफा और उसके भीतर चूना पत्थर से निर्मित संरचनाएं – छत पर लटके चूना पत्थर की संरचना स्टेलेक्टाइट तथा धरातल पर निर्मित संरचना स्टेलेगमाइट । इस गुफा के भीतर एक नाला भी बहता है , और यहां ठहरे पानी में अंधी मछली भी पाई जाती है ।
वन्य जीव
इस KVNP में प्रमुख रूप से पहाड़ी मैना , रिसर्स बंदर , उड़न गिलहरी मिलता है ।
यहां छत्तीसगढ़ की राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना ( Hill Myna ) का संरक्षण किया जा रहा है । पहाड़ी मैना का वैज्ञानिक नाम Gracula religiosa peninsularis है । इसको छत्तीसगढ़ की राजकीय पक्षी के रूप में स्वीकृति 4 सितंबर 2001 में मिला । इस पहाड़ी मैना का संकेद्रण मुख्यतः बस्तर , कोंडागांव , नारायणपुर , बीजापुर , दंतेवाड़ा के वन क्षेत्र में है ।
प्रमुख स्थल
- कुटुमसर गुफा
- कांगेर धारा जलप्रपात
- कोटमसर नागलसर डियर पार्क
- तीरथगढ़ जलप्रपात
- भैंसादरहा
- तितली पार्क
- अन्य गुफाएं
कुटुमसर गुफा
यह एक प्राकृतिक गुफा है जिसकी खोज 1900 के आसपास यहां के स्थानीय आदिवासियों ने की थी किंतु इस गुफा का सर्वे 1951 में जिओग्राफर डॉ. शंकर तिवारी ने की थी इसलिए इन्हें कुटुमसर की गुफा का खोजकर्ता के रूप में जाना जाता है ।
इस गुफा की लम्बाई 330 मीटर तथा इसकी गहराई 72 मीटर है । इस गुफा के भीतर से बरसात के मौसम में नाला बहता है जो कांगेर धारा में जाकर मिलती है ।
गुफा में चूना पत्थर से निर्मित संरचनाएं है जो कि करोड़ों वर्ष पुरानी है । गुफा के छत पर लटके चूना पत्थर को स्टेलेक्टाइट तथा धरातल पर निर्मित संरचना को स्टेलेगमाइट कहा जाता है ।
गुफा के भीतर सूर्य की किरण नहीं जा पाती इसलिए अंदर पूरा अंधेरा रहता है जब सैलानी यहां घूमने आते हैं तो गाइड अपने पास रखे बड़ी – बड़ी टार्च के सहारे अंदर के दृश्य को दिखाते हैं ।
इस गुफा के भीतर ठहरे पानी में अंधी मछली व झींगुर मछली पाई जाती है जो शायद इसलिए अंधी है क्योंकि यहां सूर्य का प्रकाश नहीं पड़ता जिस कारण मछली किसी चीज को देख नहीं सकती और नहीं देख पाने पर आंख का प्रयोग ना होने पर विलुप्त हो गई होगी । यदि आप Human Evolution को जानते हैं तो आप इसे जरूर समझ सकते हैं , जैसे कि मनुष्य के पूर्वज के पूंछ प्रयोग ना होने पर लुप्त हो गए उसी तरह मछली द्वारा आंखों का प्रयोग ना होने पर मछली की आंखे लुप्त हो गई होगी और वो अंधी मछली कहलाई ।
यहां पाई जाने वाली झींगुर मछली को प्रोफेसर शंकर तिवारी के नाम पर शंकराईज झींगुर या कप्पी ओला शंकराई कहा जाता है ।
कांगेर धारा जलप्रपात
यह जलप्रपात कांगेर नदी पर बना है जिस नदी के नाम पर इस राष्ट्रीय उद्यान का नाम Kanger Valley National Park पड़ा है । इस जलप्रपात की ऊंचाई अधिक नहीं है , यह एक छोटी जलप्रपात है । कहा जाता है कि कुटुमसर गुफा से बहने वाली नाले का पानी इसी कांगेर नदी में आकर मिलती है ।
कोटमसर नागलसर डियर पार्क
यह डियर पार्क Kanger Valley National Park के अंदर स्थित कोटमसर नागलसर ग्राम के पास है जहां हिरण रखे गए हैं । यहां नील गाय को भी देखा जा सकता है । यह कांगेर धारा जाने के रास्ते में कांगेर धारा के पास ही स्थित है ।
तीरथगढ़ जलप्रपात
Tirtahgarh Waterfall भी Kanger Valley National Park का हिस्सा है जो कि मुनगाबहार नदी पर स्थित है । यह कई खण्डो में प्रवाहित होती है । इस जलप्रपात की ऊंचाई 300 फीट है । तीरथगढ़ जलप्रपात भू – वैज्ञानिक प्रक्रिया भ्रंशन ( Fault) – एक चट्टान का दूसरे चट्टान के मुकाबले नीचे चले जाने के कारण बना है ।
नोट – तीरथगढ़ जलप्रपात को छत्तीसगढ़ का सबसे ऊंचा जलप्रपात 300 Ft. माना जाता है । परंतु इससे भी ऊंचा जलप्रपात मकरभंजा 450 Ft. Cg के सरगुजा संभाग के जशपुर जिले में है ।
भैंसादरहा
Kanger Valley National Park में भैंसादरहा एक ऐसा क्षेत्र है जहां पर प्राकृतिक रूप से मगरमच्छ पाया जाता है ।
नोट – भैंसादरहा के अलावा नारायणपुर जिला के जाटलूर नदी में और जांजगीर चांपा जिले के कोटमी सोनार में भी प्राकृतिक रूप से मगरमच्छ पाया जाता है ।
तितली पार्क
अन्य गुफाएं
कैलाश गुफा , दंडक गुफा , शीत गुफा , झुमरी गुफा , मादरकोटा गुफा , देवगिरी गुफा
अन्य जानकारी
- Kanger Valley National Park छत्तीसगढ़ राज्य का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान है
- Kanger Valley National Park को एशिया का प्राणवायु जोन घोषित किया गया है
- 1985 में इस नेशनल पार्क को एशिया का पहला बायोस्फीयर रिजर्व घोषित किया गया था लेकिन वर्तमान में यह बायोस्फीयर रिजर्व नहीं है
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